हरे कृष्ण हरे कृष्ण।
कृष्ण कृष्ण हरे हरे ॥
हरे राम हरे राम।
राम राम हरे हरे ॥
कृष्ण का जन्म भाद्रपद मास में कृष्ण पक्ष में अष्टमी तिथि, रोहिणी नक्षत्र के दिन रात्री के १२ बजे हुआ था। कृष्ण का जन्मदिन जन्माष्टमी के नाम से मनाया जाता है। जन्माष्टमी के दिन भगवान श्री कृष्ण की विधि-विधान से पूजा अर्चना की जाती है। श्रीकृष्ण को हिन्दू धर्म में भगवान विष्णु का 8 वां अवतार माना जाता है। उनके पिता का नाम यदुकुल वासुदेव था और उनकी माता का नाम देवकी था, लेकिन उनका पालन-पोषण नंदबाबा और यशोदा ने किया था। राधा अथवा राधिका हिन्दू धर्म की प्रमुख देवी हैं। वह कृष्ण की प्रेमिका और संगिनी के रूप में चित्रित की जाती हैं। इस प्रकार उन्हें राधा कृष्ण के रूप में पूजा जाता हैं। कृष्ण जन्माष्टमी के दिन भगवान कृष्ण को माखन-मिश्री और पंचामृत का भोग लगाना चाहिए और आरती कुंज बिहारी की करना चाहिए। ऐसा करने से भगवान कृष्ण जरूर प्रसन्न होते हैं।
श्री कृष्ण मंत्र:-
- ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः
- ॐ श्री कृष्णाय गोविन्दाय गोपीजन वल्लभाय नमः
- ॐ श्री कृष्णाय नमः
आरती कुंज बिहारी की-
आरती कुंजबिहारी की,
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥
आरती कुंजबिहारी की,
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥
गले में बैजंती माला,
बजावै मुरली मधुर बाला ।
श्रवण में कुण्डल झलकाला,
नंद के आनंद नंदलाला ।
गगन सम अंग कांति काली,
राधिका चमक रही आली ।
लतन में ठाढ़े बनमाली
भ्रमर सी अलक,
कस्तूरी तिलक,
चंद्र सी झलक,
ललित छवि श्यामा प्यारी की,
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥
॥ आरती कुंजबिहारी की…॥
कनकमय मोर मुकुट बिलसै,
देवता दरसन को तरसैं ।
गगन सों सुमन रासि बरसै ।
बजे मुरचंग,
मधुर मिरदंग,
ग्वालिन संग,
अतुल रति गोप कुमारी की,
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की ॥
॥ आरती कुंजबिहारी की…॥
जहां ते प्रकट भई गंगा,
सकल मन हारिणि श्री गंगा ।
स्मरन ते होत मोह भंगा
बसी शिव सीस,
जटा के बीच,
हरै अघ कीच,
चरन छवि श्रीबनवारी की,
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की ॥
॥ आरती कुंजबिहारी की…॥
चमकती उज्ज्वल तट रेनू,
बज रही वृंदावन बेनू ।
चहुं दिसि गोपि ग्वाल धेनू
हंसत मृदु मंद,
चांदनी चंद,
कटत भव फंद,
टेर सुन दीन दुखारी की,
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की ॥
॥ आरती कुंजबिहारी की…॥
आरती कुंजबिहारी की,
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥
आरती कुंजबिहारी की,
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥