हिन्दू धर्म के चार आधार स्तंभों में से एक है प्रभु श्रीराम। श्रीराम को शास्त्रों में भगवान विष्णु का अवतार बताया गया है। भगवान राम को भगवान विष्णु के 10 अवतारों में 7वां अवतार माना जाता है।रामनवमी पर रामायण की आरती करना बड़ा ही पुण्यदायी माना गया है। भगवान श्री राम ने एक आदर्श चरित्र प्रस्तुत कर समाज को एक सूत्र में बांधा था। भगवान राम का नामकरण रघुवंशियों के गुरु महर्षि वशिष्ठ ने किया था। वशिष्ठ के अनुसार राम शब्द दो बीजाक्षरों अग्नि बीज और अमृत बीज से मिलकर बना है। ये अक्षर दिमाग, शरीर और आत्मा को शक्ति प्रदान करते हैं।
राम नाम का तीन बार उच्चारण हजारों देवताओं को स्मरण करने के समान है।कहा जाता है कि राजा रामचंद्र भगवान की आरती श्री रामायण जी की सुनने मात्र से सभी समस्याओं का समाधान होता है तथा नकारात्मक शक्तियों का नाश होता है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
श्रीराम के पिता का नाम महाराज दशरथ एवं माता का नाम कौशल्या था। भगवान श्रीराम के तीन भाई लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न थे। श्री राम की पत्नी का नाम देवी सीता था। हनुमान जी भगवान श्रीराम के परम भक्त हैं। ऋषि वाल्मीकि ने रामायण की रचना की थी। लेखक गोस्वामी तुलसीदास ने भी उनके जीवन पर केन्द्रित भक्तिभावपूर्ण सुप्रसिद्ध महाकाव्य रामचरितमानस की रचना की थी। भारतवर्ष में राम नवमी का पर्व मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। व्रत कथा का पाठ करने के बाद भगवान राम की आरती अवश्य करें।
आरती
आरती श्री रामायण जी की ।
कीरति कलित ललित सिय पी की ॥
गावत ब्रहमादिक मुनि नारद ।
बाल्मीकि बिग्यान बिसारद ॥
शुक सनकादिक शेष अरु शारद ।
बरनि पवनसुत कीरति नीकी ॥
॥ आरती श्री रामायण जी की ॥
गावत बेद पुरान अष्टदस ।
छओं शास्त्र सब ग्रंथन को रस ॥
मुनि जन धन संतान को सरबस ।
सार अंश सम्मत सब ही की ॥
॥ आरती श्री रामायण जी की ॥
गावत संतत शंभु भवानी ।
अरु घटसंभव मुनि बिग्यानी ॥
ब्यास आदि कबिबर्ज बखानी ।
कागभुशुंडि गरुड़ के ही की ॥
॥ आरती श्री रामायण जी की ॥
कलिमल हरनि बिषय रस फीकी ।
सुभग सिंगार मुक्ति जुबती की ॥
दलनि रोग भव मूरि अमी की ।
तात मातु सब बिधि तुलसी की ॥
आरती श्री रामायण जी की ।
कीरति कलित ललित सिय पी की ॥