Sunday, December 22, 2024
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सरस्वती आरती || Saraswati Aarti ||

माँ सरस्वती विद्या की देवी हैं। वह वाणी, बुद्धि और विद्या की शक्तियों से संपन्न होती हैं। उनके पास व्यक्तित्व के चार पहलुओं का प्रतिनिधित्व करते हुए चार हाथ हैं- मन, बुद्धि, सतर्कता और अहंकार। वे वेदों की जननी हैं और उनके मंत्रों को ‘सरस्वती वंदना’ भी कहते हैं। एक हाथ में ग्रंथ, जो वेदों का प्रतीक बताए जाते हैं और दूसरे हाथ में कमल है, जो ज्ञान का प्रतीक है। अन्य दो हाथों के साथ सरस्वती, वीणा नामक एक वाद्य यंत्र पर प्रेम और जीवन का संगीत बजाती हैं। उन्होंने सफेद कपड़े पहने हैं, यह पवित्रता का प्रतीक है। वह सफेद हंस पर सवार होकर सत्त्वगुण प्रदान करती हैं। हिन्दू पंचांग के अनुसार माघ महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को बसंत पंचमी यानी सरस्वती पूजा मनाई जाती है। बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की पूजा अर्चना और सरस्वती आरती की जाती है।

बसंत पंचमी के दिन मंत्र का जाप करने से ज्ञान, विद्या, धन और सुख-समृद्धि प्राप्त होती है।


या कुंदेंदु तुषार हार धवला या शुभ्र वृस्तावता।
या वीणा वर दण्ड मंडित करा या श्वेत पद्मसना।।
या ब्रह्माच्युत्त शंकर: प्रभृतिर्भि देवै सदा वन्दिता।
सा माम पातु सरस्वती भगवती नि:शेष जाड्या पहा।।

अर्थ : जो विद्या की देवी भगवती सरस्वती कुंद के फूल, चन्द्रमा, हिमराशि और मोती के हार की तरह श्वेत वर्ण की हैं और जो श्वेत वस्त्र धारण करती हैं, जिनके हाथ में वीणा-दंड शोभायमान है, जिन्होंने श्वेत कमलों पर अपना आसन ग्रहण किया है तथा ब्रह्मा, विष्णु एवं शंकर आदि देवताओं द्वारा जो सदा पूजित हैं, वही संपूर्ण जड़ता और अज्ञान को दूर कर देने वाली मां सरस्वती आप हमारी रक्षा करें।

सरस्वती आरती
सरस्वती आरती
सरस्वती आरती

ॐ जय सरस्वती माता, जय जय सरस्वती माता।
सद्‍गुण वैभव शालिनी, त्रिभुवन विख्याता॥ जय…..

चंद्रवदनि पद्मासिनी, ध्रुति मंगलकारी।
सोहें शुभ हंस सवारी, अतुल तेजधारी ॥ जय…..

बाएं कर में वीणा, दाएं कर में माला।
शीश मुकुट मणी सोहें, गल मोतियन माला ॥ जय…..

देवी शरण जो आएं, उनका उद्धार किया।
पैठी मंथरा दासी, रावण संहार किया ॥ जय…..

विद्या ज्ञान प्रदायिनी, ज्ञान प्रकाश भरो।
मोह, अज्ञान, तिमिर का जग से नाश करो ॥ जय…..

धूप, दीप, फल, मेवा मां स्वीकार करो।
ज्ञानचक्षु दे माता, जग निस्तार करो ॥ जय…..

मां सरस्वती की आरती जो कोई जन गावें।
हितकारी, सुखकारी, ज्ञान भक्ती पावें ॥ जय…..

जय सरस्वती माता, जय जय सरस्वती माता।
सद्‍गुण वैभव शालिनी, त्रिभुवन विख्याता॥ जय…..

ॐ जय सरस्वती माता, जय जय सरस्वती माता ।
सद्‍गुण वैभव शालिनी, त्रिभुवन विख्याता॥ जय…..

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