Sunday, December 22, 2024
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हनुमान आरती || Hanuman Aarti ||

श्री हनुमान जी का जन्म चैत्र मास के पूर्णिमा में मंगलवार के दिन हुआ था। हनुमान जी की माता का नाम अंजनी और पिता का नाम केसरी था। हनुमान जी को संकट मोचन और पवन पुत्र के नाम से भी पुकारा जाता है। भगवान शिवजी के सभी अवतारों में सबसे बलवान और बुद्धिमान माने जाते हैं। रामायण के अनुसार वे श्रीराम के अत्यधिक प्रिय हैं। हनुमान जी यानि बल-बुद्धि और कौशल के दाता, श्री राम जी के परम भक्त और भगवान शिव के रुद्रावतार। अगर किसी जातक की कुंडली में मंगल ग्रह कमजोर है तो उसे हनुमान जी की आरती करनी चाहिए। मान्यता है कि मंगलवार को हनुमान जी की आरती करने से हनुमान जी खुश होते हैं।

‘आरती कीजै हनुमान लला की’ के रचयिता रामानन्द हैं। हनुमान जी ने सूर्यदेव को अपना गुरु बनाया था। हनुमान जी को महावीर, मारुति, पवनपुत्र, अंजनेय नाम से भी जाना जाता है. ऐसा माना जाता है कि जो व्यक्ति उचित नियमों और भक्ति के साथ भगवान हनुमान की पूजा करता है, वह सभी संकटों से मुक्त हो जाता है, इसलिए भगवान हनुमान को संकटमोचन के नाम से भी जाना जाता है। हनुमानजी को बजरंगबली के नाम से भी पुकारा जाता है। बजरंगबली का अर्थ है, जिसके पास हीरे, वज्र जैसा शरीर हो, जिसे तोड़ा नहीं जा सकता. बलि का अर्थ है शक्तिशाली।

हनुमान आरती
हनुमान आरती

हनुमान आरती –

॥ श्री हनुमंत स्तुति ॥
मनोजवं मारुत तुल्यवेगं,
जितेन्द्रियं, बुद्धिमतां वरिष्ठम् ॥
वातात्मजं वानरयुथ मुख्यं,
श्रीरामदुतं शरणम प्रपद्धे ॥

आरती कीजै हनुमान लला की। दुष्ट दलन रघुनाथ कला की।।
जाके बल से गिरिवर कांपे। रोग दोष जाके निकट न झांके ।।आरती कीजै।।

अंजनि पुत्र महाबलदायी। संतान के प्रभु सदा सहाई।
दे बीरा रघुनाथ पठाए। लंका जारी सिया सुध लाए ।।आरती कीजै।।

लंका सो कोट समुद्र सी खाई। जात पवनसुत बार न लाई।
लंका जारी असुर संहारे। सियारामजी के काज संवारे ।।आरती कीजै।।

लक्ष्मण मूर्छित पड़े सकारे। आणि संजीवन प्राण उबारे।
पैठी पताल तोरि जमकारे। अहिरावण की भुजा उखाड़े ।।आरती कीजै।।

बाएं भुजा असुर दल मारे। दाहिने भुजा संतजन तारे।
सुर-नर-मुनि जन आरती उतारे। जै जै जै हनुमान उचारे ।।आरती कीजै।।

कंचन थार कपूर लौ छाई। आरती करत अंजना माई।
लंकविध्वंस कीन्ह रघुराई। तुलसीदास प्रभु कीरति गाई ।।आरती कीजै।।

जो हनुमानजी की आरती गावै। बसी बैकुंठ परमपद पावै।
आरती कीजै हनुमान लला की। दुष्ट दलन रघुनाथ कला की ।।आरती कीजै।।

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