आज के समय में हम सभी स्वस्थ रहना चाहते हैं। लेकिन व्यस्त जीवनशैली, अव्यवस्थित खानपान, शारीरिक श्रम का अभाव जैसे विभिन्न कारणों से हम बीमार पड़ते रहते हैं। कोई न कोई रोग हमारे जीवन को प्रभावित कर ही देता है और हम परेशान होते रहते हैं। इसके अलावा कुछ रोग ऐसे होते हैं जो हमारे शरीर की ग्रंथियों से जुड़े होते हैं। इन्हीं में से एक है थायरॉइड रोग, जो कि हमारी थायरॉइड ग्रंथि से जुड़ा होता है। अच्छी बात तो यह है कि आप इसका घरेलू उपचार भी कर सकते हैं।
थायरॉइड क्या है?
थायरॉइड गले में पाई जाने वाली तितली के आकार की एक ग्रंथि होती है। ये सांस की नली की ऊपर होती है। यह मानव शरीर में पाई जाने वाली सबसे बड़ी अतस्रावी ग्रंथियों में से एक होती है। इसी थायरॉइड ग्रंथि में गड़बड़ी आने से ही इससे संबंधित रोग होते हैं। यह ग्लैंड थ्योरिकसिन नाम का हार्मोन बनाती है। ये हार्मोन हमारे शरीर के मेटाबॉलिज्म को बढ़ाता है और बॉडी में सेल्स को नियंत्रित करने का काम करता है। यह हार्मोन हमारे शरीर की सभी प्रक्रियाओं की गति को नियंत्रित करता है।
थायरॉइड रोग के कितने प्रकार होते है?
थायरॉइड रोग के कितने प्रकार होते है?
1.थायरॉइड ग्रंथि की अतिसक्रियता ।
2.थायरॉइड ग्रंथि की अल्पसक्रियता ।
थायरॉइड ग्रंथि की अतिसक्रियता
थायरॉइड ग्रंथि की अतिसक्रियता के कारण T4 और T3 हार्मोन का आवश्यकता से अधिक उत्पादन होने लगता है। जब इन हार्मोन्स का उत्पादन अधिक मात्रा में होने लगता है तो शरीर ऊर्जा का उपयोग अधिक मात्रा में करने लगता है। इसे ही हाइपरथायरायडिज्म कहते हैं। पुरुषों की तुलना महिलाओं में यह समस्या अधिक देखी जाती है।
थायरॉइड ग्रंथि की अतिसक्रियता के लक्षण क्या है?
थायरॉइड ग्रंथि की अतिसक्रियता के कारण शरीर में मेटाबोलिज्म बढ़ जाता है। जिसके निम्नलिखित लक्षण देखने को मिलते हैं:-
- घबराहट ।
- अनिद्रा ।
- चिड़चिड़ापन ।
- हाथों का काँपना ।
- अधिक पसीना आना ।
- दिल की धड़कन बढ़ना ।
- बालों का पतला होना एवं झड़ना ।
- मांसपेशियों में कमजोरी एवं दर्द रहना ।
- अत्यधिक भूख लगना ।
- वजन का घटना ।
- महिलाओं में मासिक धर्म की अनियमितता ।
- ओस्टियोपोरोसिस से से हड्डी में कैल्शियम तेजी से खत्म होना आदि ।
थायरॉइड ग्रंथि की अल्पसक्रियता
थायराइड की अल्प सक्रियता के कारण हाइपोथायरायडिज्म हो जाता है। जिसके लक्षण निम्नलिखित है:-
- धड़कन की धीमी होना ।
- हमेशा थकावट का अनुभव ।
- अवसाद या डिप्रेशन ।
- सर्दी के प्रति अधिक संवेदनशील ।
- वजन का बढ़ना ।
- नाखूनों का पतला होकर टूटना ।
- पसीना नहीं आना या कम आना ।
- त्वचा में सूखापन और खुजली होना ।
- जोड़ों में दर्द और मांसपेशियों में अकड़न ।
- बालों का अधिक झड़ना ।
- कब्ज रहना ।
- आँखों में सूजन ।
- बार-बार भूलना ।
- सोचने-समझने में असमर्थ ।
- मासिक धर्म में अनियमितता ।
- कोलेस्ट्रॉल का स्तर बढ़ना आदि ।
थायरॉइड रोग क्यों होता है?
थायरॉइड रोग होने के निम्नलिखित कारण है:-
- अव्यवस्थित लाइफस्टाइल ।
- खाने में आयोडीन कम या अधिकता ।
- ज्यादा चिंता करना ।
- वंशानुगत ।
- गलत खानपान और देर रात तक जागना ।
- डिप्रेशन की दवाईयों लेना ।
- डायबिटीज ।
- भोजन में सोया उत्पादों का अधिक इस्तेमाल ।
उपरोक्त के अलावा थायराॅइड इन कारणों से भी हो सकता है:-
- हाशिमोटो रोग
- थायरॉइड ग्रंथि में सूजन
- ग्रेव्स रोग
- गण्डमाला रोग
- विटामिन बी 12 की कमी
थायरॉइड रोग का घरेलू इलाज करने के उपाय:-
मुलेठी से इलाज : मुलेठी का सेवन करें। मुलेठी में पाया जाने वाला प्रमुख घटक ट्रीटरपेनोइड ग्लाइसेरीथेनिक एसिड थायरॉइड कैंसर सेल्स को बढ़ने से रोकता है।
घरेलू इलाज हरी धनिया से : हरी धनिया को पीसकर एक गिलास पानी में घोल कर पिएं। इससे रोग से आराम मिलेगा।
अलसी का चूर्ण से इलाज : अलसी के चूर्ण का उपयोग थायरॉइड की समस्या में आराम पहुंचाता है क्योंकि अलसी में पर्याप्त मात्रा में ओमेगा -3 पाया जाता है। इसलिए रोगियों को नियमित रूप से अलसी के चूर्ण का उपयोग करना चाहिए।
लौकी के उपयोग से इलाज : खाली पेट लौकी का जूस पीने से रोग में उत्तम काम करता है। यह रोग को शांत करता है।
नारियल के तेल से इलाज : नारियल के तेल का उपयोग थायरॉइड की क्रिया शीलता को बनाये रखने में मदद करता है। इसलिए रोगियों को कुकिंग ऑयल के रूप में नारियल तेल का इस्तेमाल करना चाहिए।
थायरॉइड के दौरान आपका खान-पान :
थायरॉइड की परेशानी के दौरान आपका खान-पान ऐसा होना चाहिएः-
- इस रोग में कम वसा वाले आहार का सेवन करें।
- ज्यादा से ज्यादा फलों एवं सब्जियों को भोजन में शामिल करें।
- विशेषकर हरी पत्तेदार सब्जियों का सेवन करें। इनमें उचित मात्रा में आयरन होता है, जो रोगियों के लिए फायदेमंद है।
- पोषक तत्वों से भरपूर भोजन करें। मिनरल्स और विटामिन से युक्त भोजन लेने से इसे कन्ट्रोल करने में मदद मिलती है।
- आयोडीन युक्त आहार का सेवन करें।
- नट्स जैसे बादाम, काजू और सूरजमुखी के बीजों का अधिक सेवन करें। इनमें कॉपर की पर्याप्त मात्रा होती है, जो फायदेमंद होता है।
- थायराइड के घरेलू उपचार के अंतगर्त दूध और दही का अधिक सेवन करना चाहिए।
- थायराइड के घरेलू इलाज के लिए आप विटामिन-ए का अधिक सेवन करें। इसके लिए आप गाजर खा सकते हैं।
- साबुत अनाज का सेवन करें। इसमें फाइबर, प्रोटीन और विटामिन्स भरपूर मात्रा में होते हैं।
- मुलेठी में मौजूद तत्व थायरॉइड ग्रन्थि को संतुलित बनाते हैं। यह थायरॉइड में कैंसर को बढ़ने से भी रोकता है।
- गेहूँ और ज्वार का सेवन करें।
उम्मीद है ऊपर बताए गए घरेलू उपचार आपके लिए उपयोगी साबित होंगें। यदि रोग लंबे समय तक बनी रहती है, तो विशेषज्ञ की सलाह लेना उचित होगा।
आशा करते हैं कि आपको थायरॉइड का ब्लॉग अच्छा लगा होगा। ऐसे ही ब्लॉग्स पढ़ने के लिए जानकारियां पर बने रहिए।