जानिए क्यों मनाई जाती है महाशिवरात्रि, क्या है इसका महत्व ?
महाशिवरात्रि हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण त्योहार है जो मुख्य रूप से भगवान शिव को समर्पित है। यह हर साल हिन्दू पंचांग के फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मनाया जाता है। महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव की पूजा, अर्चना और ध्यान का विशेष महत्व होता है। यह उनके भक्तों के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर है जब वे उन्हें उनकी आराधना करते हैं और उनके आशीर्वाद की कामना करते हैं।बहुत से लोग महाशिवरात्रि पर उपवास रखते हैं, जिससे वे अपने मन और शरीर को शुद्ध करते हैं और भगवान शिव की कृपा को प्राप्त करते हैं।
शिव” शब्द संस्कृत में “मांगने योग्य” या “मांगने योग्य वस्तु” का अर्थ होता है। हिंदू धर्म में, “शिव” शब्द का अर्थ भगवान शिव के नाम के रूप में प्रयोग किया जाता है, जो कि त्रिमूर्ति का एक रूप हैं।
भगवान शिव हिंदू धर्म के प्रमुख देवता में से एक हैं, जिन्हें प्रकृति के प्रतिरूप के रूप में माना जाता है। उन्हें तांडव नृत्य, ध्यान, तपस्या, और संगीत का प्रतीक माना जाता है। भगवान शिव का अनेक नाम हैं जैसे महाकाल, नीलकंठ, शंकर, रुद्र, महेश्वर, आदि।
शिव का चित्रण विभिन्न अवतारों में किया जाता है, जैसे कि गौरीपति, भैरव, रामेश्वर, नटराज, आदि। उनके पास त्रिशूल, डमरू, गंगा और चंद्रमा का प्रतीक, नाग का हार, और विशेष रूप से भूतों की सेना के साथ चित्रित किया जाता है।
शिव को ब्रह्मा (सृष्टि), विष्णु (पालन-पोषण), और महेश्वर (संहार) के रूप में भी जाना जाता है, जिन्हें त्रिमूर्ति कहा जाता है। उन्हें ब्रह्मा और विष्णु के साथ ब्रह्मांड के निर्माण में सहायक माना जाता है। सामान्यत: भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए उनकी पूजा, अर्चना, और ध्यान की जाती है, और उन्हें श्रद्धा और भक्ति के साथ स्मरण किया जाता है।
महाशिवरात्रि का महत्व पौराणिक कथाओं में कई रूपों में वर्णित है। यहां कुछ प्रमुख पौराणिक कथाएं हैं जो महाशिवरात्रि के महत्व को समझाती हैं:
- विवाह की कथा (The Marriage Tale): एक अन्य पौराणिक कथा के अनुसार, महाशिवरात्रि को भगवान शिव और पार्वती माता के विवाह के दिन के रूप में मनाया जाता है। इस कथा के अनुसार, पार्वती माता ने भगवान शिव का विवाह प्राप्त किया था और यह त्योहार उनके इस दिव्य संबंध का उत्सव मनाने का अवसर है।
- समुद्र मंथन (The Churning of the Ocean): एक प्रमुख महाशिवरात्रि कथा है समुद्र मंथन की। इस कथा के अनुसार, देवता और असुर मिलकर समुद्र मंथन करते हैं ताकि अमृत प्राप्ति हो सके। मंथन के दौरान हलाहल विष (विष का विष) निकलता है जिससे देवताओं को अच्छाई और बुराई की जानकारी होती है। भगवान शिव उसे पीते हैं और उनकी गले में फंस जाता है, जिससे उन्हें “नीलकंठ” कहा जाता है। इससे उन्हें महाशिवरात्रि पर पूजा और अर्चना करने का महत्व माना जाता है।
महाशिवरात्रि के पूजन की विधि कुछ इस प्रकार होती है:
- स्नान और शुद्धि: पूजन की शुरुआत में स्नान करें और वस्त्र धारण करें। स्नान के बाद, ध्यान और ध्यान के साथ शुद्धि के लिए मन्त्र उच्चारण करें।
- बेलपत्र (बिल्व पत्र): भगवान शिव को बेलपत्र के पत्ते बहुत प्रिय होते हैं। उन्हें पूजन के लिए बिल्वपत्र का उपयोग करें।
- शिवलिंग पूजा: शिवलिंग को सजाकर, गंगा जल, धूप, दीप, धनिया, अदरक, दही, शहद, गुड़, गंध, बिल्वपत्र, गन्धक और गौमय से पूजन करें।
- मंत्र जाप: भगवान शिव के मंत्रों का जाप करें, जैसे कि ‘ॐ नमः शिवाय’, ‘ॐ त्र्यम्बकं यजामहे’ आदि।
- मानसिक और शारीरिक साधना: भगवान शिव को मानसिक और शारीरिक साधना करते व्यक्ति की प्रिय होती है।
- भजन, कीर्तन, और प्रार्थना: भजन, कीर्तन, और प्रार्थना करना भगवान शिव के प्रति भक्ति प्रकट करता है और उन्हें प्रिय होता है।
- ध्यान और आरती: भगवान शिव की ध्यान करें और उन्हें आरती दें।
- प्रसाद बांटना: पूजन के बाद, प्रसाद को भगवान शिव को समर्पित करें और फिर उसे बांटें।
- व्रत और उपवास: महाशिवरात्रि पर उपवास करें और अपने मन और शरीर को शुद्ध करें।
यह कुछ मुख्य विधि हैं जो महाशिवरात्रि के पूजन में शामिल होते हैं। पूजन करते समय, अपने श्रद्धा और भक्ति के साथ करें और भगवान शिव की कृपा की कामना करें।
भगवान शिव के मंत्र का जाप उनकी आराधना और ध्यान के लिए किया जाता है और उनकी कृपा को प्राप्त करने में सहायक होता है। यहां कुछ प्रमुख भगवान शिव के मंत्र हैं:
- ॐ नमः शिवाय (Om Namah Shivaya): यह मंत्र भगवान शिव का प्रमुख मंत्र है और उनकी पूजा में अत्यंत प्रभावशाली है। इस मंत्र का जाप शिव के नाम की प्रशंसा करता है और उनकी कृपा को प्राप्त करने में सहायक होता है।
- ॐ नमो भगवते रुद्राय (Om Namo Bhagavate Rudraya): इस मंत्र का जाप भगवान शिव की प्राप्ति और उनकी कृपा को प्राप्त करने में सहायक होता है।
- ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥ (Om Tryambakam Yajamahe Sugandhim Pushtivardhanam Urvarukamiva Bandhanan Mrityor Mukshiya Maamritat): यह मंत्र मृत्युन्जय मंत्र के रूप में भी जाना जाता है और मृत्यु के प्रति संजीवनी शक्ति को संदर्भित करता है।
- ॐ नमो भगवते वासुदेवाय (Om Namo Bhagavate Vasudevaya): यह मंत्र भगवान विष्णु को समर्पित है, लेकिन कई संप्रदायों में इसे शिव के लिए भी जाप किया जाता है और उनकी कृपा को प्राप्त करने में सहायक होता है।
ये कुछ प्रमुख भगवान शिव के मंत्र हैं जो उनके भक्त जाप करते हैं। मंत्रों का जाप ध्यान और आराधना के दौरान किया जाता है और उनके प्रभाव को समझने के लिए उचित गुरु की दिशा और मार्गदर्शन की आवश्यकता होती है।
आशा करते हैं कि आपको महाशिवरात्रि का ब्लॉग अच्छा लगा होगा। ऐसे ही ब्लॉग्स पढ़ने के लिए जानकारियां पर बने रहिए।